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'शैवालिनी:एक सच' मात्र एक किताब नहीं,मेरे जीवन का वह सत्य है जो संभवतःआखिरी साँस तक वैसे ही जीवंत रहेगा,जैसा मैं महसूस करता हूँ।इस सच को एक कल्पना का नाम देकर मैंने 34 साल की अपनी अनमोल सुखद स्मृतियों को बड़ी हिफाज़त के साथ इस तरह से संभाल कर रखा है जैसे कि वह कल की ही बात हो!प्रेम बहुत ही विराट शब्द है।
इसे शर्तों की सीमा में बाँधकर नहीं रखा जा सकता।प्रेम बड़ा ही पवित्र,निश्छल,सात्विक और निःस्वार्थ होता है... छल-छद्म,ईर्ष्या-द्वेष से कोसो दूर।प्रेम में दो निष्कलुष, निर्विकार आत्माओं का मिलन होता है।शरीर तो गौण रहता है।और जब आत्मा की प्रधानता हो तो प्रेम की सार्थकता तय है।...इस रचना की प्रमुख नायिका शैवालिनी और अनाम नायक का प्रेम भी सात्विक,निश्छल और निःस्वार्थ है।वहीं दूसरी प्रमुख नायिका शिवाला का प्रेम तो शैवालिनी के प्रेम से कहीं अधिक पवित्र और निश्छल है।कहाँ कहीं उद्दंडता, उच्छृंखलता दिखाई पड़ती है।हर पात्र को अपनी सीमा का ज्ञान है और हर पात्र का समर्पण बेजोड़ है।
...प्रेम की सार्थकता मिलन में कम,विरह में अधिक होती है।विरह में प्रेम के वास्तविक स्वरूप का पता चलता है।किसी की अनुपस्थिति में उसकी उपस्थिति के साथ हर पल को बेहतरीन ढंग से जीना भी प्रेम की सार्थकता ही कही जायेगी।
...आज प्रेम आत्मा से रहित हो गया है।शरीर प्रमुख हो गया है और आत्मा गौण!और यही वजह है कि अब प्रेम-संबंध स्थायी रूप नहीं ले पाते।
...'शैवालिनी:एक सच' रचना यह बताती है कि किसी से किया गया सार्थक प्रेम क्षणिक नहीं, अपितु शाश्वत होता है।वह उसके होने या न होने से तनिक भी परिवर्तित नहीं होता बल्कि जीवनपर्यंत बना रहता है।
...हमारे समाज में विवाहेतर प्रेम को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता।एक विवाहिता से यही अपेक्षा की जाती है कि वह अपने पति-परिवार के लिए अपने पूर्व प्रेम के अध्याय को पूर्णतः खत्म ही कर दे ताकि उसकी छाया भी उसकी वर्तमान ज़िंदगी पर नहीं पड़े।अधिकांश मामलों में ऐसा ही होता है।पर,विवाह पूर्व के अमिट,अकाट्य प्रेम को ही अपना सर्वस्व मानने वाला अपने वास्तविक जीवन के साथ उस काल्पनिक जीवन को भी पूर्ण सात्विकता से भरपूर जीना चाहता है।अपनी सीमा का ज्ञान रहते हुए एक-दूसरे की भावना का सम्मान करते हुए साथ-साथ जीवन जीने में बुराई ही क्या है!!
..किसी के तुम से आप बनने और फिर तुम बन जाने के बीच वैसे होता तो कुछ नहीं है, बस एक सच्चे इंसान की हर तरह से मौत ही तो होती है।एक ज़िंदा लाश की तरह वह जिंदगी को बस ढो रहा होता है जिसमें उसकी ग़लती तनिक भी नहीं रहती।बरसों की मित्रता,प्रेम और विश्वास विकल्प मिलते ही हवा-हवाई हो जाते हैं और तब परिस्थितियों को बड़े आराम से दोषी ठहरा दिया जाता है।
...प्रेम और अलगाव की बात अब आम हो गयी है।दरअसल आजकल लोग इतने होशियार हो गये हैं कि प्रेम को भी तराजू पर तौल कर देखते हैं।भविष्य के लिए जो अच्छा विकल्प मिलता है,उसके साथ ही ज़िंदगी गुज़ारना चाहते हैं।अच्छा विकल्प मिलने के बाद पूर्व प्रेम का नामोनिशान मिटा देना चाहते हैं।
...आजकल ऐसी घटनाएँ काफी बढ़ रही हैं। इससे बढ़ रही हैं मानसिक विकृतियाँ और आपराधिक घटनाएँ।इनमें कुछ समझदार तो सबकुछ भूलकर नई ज़िंदगी की शुरुआत कर देते हैं कुछ मेरी तरह काल्पनिक दुनिया में ही रहकर उसे अपने साथ लेकर चलना चाहते हैं।
...मेरा तो मानना है कि अपनी संपूर्ण जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाते हुए किसी की निजी ज़िंदगी में बिना ताकझाँक किए उसे साथ-साथ लेकर चलने में कहीं से भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
....मैंने अपनी रचना के माध्यम से उस समस्या के समाधान की ओर भी इशारा किया है जिसकी वजह से हमारे युवा मानसिक विकृतियों और आपराधिक घटनाओं की ओर जाने-अनजाने में अपने कदम को बढ़ा रहे हैं।मैं यह भी जानता हूँ कि एक सभ्य माने जाने वाले समाज में यह संभव ही नहीं है, पर 'शैवालिनी:एक सच' के माध्यम से इसकी शुरुआत तो मैं अपने घर से कर ही सकता हूँ।
-डॉ.कुमार अनुभव
डॉ. कुमार अनुभव जी का जन्म 11 सितंबर 1978 को हुआ था। डॉ. कुमार अनुभव जी के पिता प्रो. (डॉ.) बलराम मिश्र जी एवं माता डॉ.सुशीला ओझा जी हैं। डॉ. कुमार अनुभव जी ने स्नातकोत्तर(हिन्दी), पीएच. डी., बी.एड., की शिक्षा प्राप्त कर नेट, सीटेट, बीटेट परीक्षा उत्तीर्ण की है। डॉ. कुमार अनुभव जी 66वीं बीपीएससी के नवनियुक्त पदाधिकारियों को बिपार्ड-गया में 'प्रशासनिक हिन्दी' पर प्रशिक्षण दिया हैं। साथ ही राजभाषा मुख्यालय, गृह मंत्रालय,भारत सरकार में अनुवाद कार्य का प्रशिक्षण आपके द्वारा लिया गया है। डॉ. कुमार अनुभव जी की प्रकाशित पुस्तकों में 'छायावादी कवियों की कहानियों में यथार्थ बोध', 'शैवालिनी : एक सच' शामिल हैं।
डॉ. कुमार अनुभव जी की विभिन्न स्थानीय, राष्ट्रीय समाचार पत्र (हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, दैनिक भास्कर एवं नवभारत टाइम्स आदि) और पत्रिकाओं (जाह्नवी, बानगी, बूँद-बूँद सागर एवं प्रेम सुधा पहल आदि) में 500 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. कुमार अनुभव जी की रचनाओ का प्रसारण-आकाशवाणी दिल्ली से 'महफिल' कार्यक्रम की प्रस्तुति के साथ हुआ है। डॉ. कुमार अनुभव जी 'एक्सप्रेशन' एवं 'वेरिएंस' विद्यालयी पत्रिका में बतौर संपादक लगातार तीन अंकों का प्रकाशन कर चुके हैं और साथ ही 'संवर्धन' स्थानीय समाचार पत्र में बतौर सहायक संपादक लगातार एक वर्ष तक प्रकाशन कर चुके हैं। डॉ. कुमार अनुभव जी ने 'जाह्नवी'(दिल्ली) पत्रिका में संपादन सहयोगी का कार्य किया है। डॉ. कुमार अनुभव जी वर्तमान में बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग में बतौर 'राजभाषा अनुदेशक' (मुख्यालय) के पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं।
Dr. Kumar Anubhav ji was born on 11 September 1978. Dr. Kumar Anubhav's father Prof. (Dr.) Balram Mishra ji and mother Dr. Sushila Ojha ji. Dr. Kumar Anubhav ji did Post Graduate (Hindi), Ph.D. D., B.Ed., has passed NET, CTET, BTET exam after getting education. Dr. Kumar Anubhav ji has given training on 'Administrative Hindi' to newly appointed office bearers of 66th BPSC at Bipard-Gaya. Along with this, you have taken training for translation work in the Official Language Headquarters, Ministry of Home Affairs, Government of India. The published books of Dr. Kumar Anubhav ji include 'Actual perception in the stories of shadow poets', 'Shaivalini: Ek Sach'.
More than 500 compositions of Dr. Kumar Anubhav have been published in various local, national newspapers (Hindustan, Prabhat Khabar, Dainik Bhaskar and Navbharat Times etc.) Are. The compositions of Dr. Kumar Anubhav ji have been telecasted with the presentation of 'Mehfil' program from All India Radio. Dr. Kumar Anubhav ji has published three consecutive issues as an editor in 'Expression' and 'Variance' school magazine and has also published continuously for one year as an assistant editor in 'Samvardhan' local newspaper. Dr. Kumar Anubhav ji has worked as an editing assistant in 'Jahnavi' (Delhi) magazine. Dr. Kumar Anubhav ji is currently serving as 'Official Language Instructor' (Headquarters) in the Cabinet Secretariat (Official Language) Department of the Government of Bihar.