शिव चालीसा एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू देवताओं में सबसे शक्तिशाली और पूजनीय देवताओं में से एक है। खूबसूरती से रची गई इस प्रार्थना में चालीस छंद शामिल हैं जो भगवान शिव के विभिन्न गुणों का बखान करते हैं। शिव चालीसा का प्रत्येक छंद भगवान शिव को एक अनोखे तरीके से वर्णित करता है, जो ब्रह्मांड के निर्माता, रक्षक और विध्वंसक के रूप में उनकी भूमिका को उजागर करता है। भगवान शिव से जुड़ी विभिन्न किंवदंतियों और पौराणिक कथाओं की भी पड़ताल करता है, जिसमें देवी पार्वती से उनका विवाह, नृत्य के भगवान के रूप में उनकी भूमिका और दयालु देवता के रूप में उनकी उदार प्रकृति शामिल है, जो अपने भक्तों को वरदान देते हैं। शिव चालीसा न केवल एक प्रार्थना है बल्कि दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत भी है। ऐसा माना जाता है कि भक्ति और ईमानदारी के साथ शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान आ सकता है। यह पुस्तक एक व्यापक परिचय के साथ शिव चालीसा का एक सुंदर अनुवादित और व्याख्यात्मक संस्करण प्रस्तुत करती है जो इस कालातीत प्रार्थना की उत्पत्ति और महत्व की पड़ताल करती है। चाहे आप भगवान शिव के भक्त हों या हिंदू आध्यात्मिकता के बारे में उत्सुक हों, यह पुस्तक निश्चित रूप से आपके पुस्तकालय के लिए मूल्यवान होगी।
Shiv Chalisa is a devotional hymn dedicated to Lord Shiva, one of the most powerful and revered deities in the Hindu pantheon. This beautifully composed prayer consists of forty verses that extol the various virtues and attributes of Lord Shiva. Each verse of the Shiv Chalisa describes Lord Shiva in a unique way, highlighting his role as the creator, protector, and destroyer of the universe. The hymn also explores the various legends and mythologies associated with Lord Shiva, including his marriage to the goddess Parvati, his role as the Lord of Dance, and his benevolent nature as the compassionate deity who grants boons to his devotees. The Shiv Chalisa is not only a prayer but also a source of inspiration and guidance for millions of people around the world. It is believed that reciting the Shiv Chalisa with devotion and sincerity can bring peace, prosperity, and spiritual enlightenment to one's life. This book presents a beautifully translated and annotated version of the Shiv Chalisa, along with a comprehensive introduction that explores the origins and significance of this timeless prayer. Whether you are a devout follower of Lord Shiva or simply curious about Hindu spirituality, this book will surely be a valuable addition to your library.
॥दोहा॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
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जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
॥ इति श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ॥
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