खाटू श्याम चालीसा पूजनीय देवता भगवान खाटू श्याम को समर्पित एक भक्तिपूर्ण भजन है। चालीसा में चालीस छंद शामिल हैं जो भक्तों द्वारा भगवान खाटू श्याम का आशीर्वाद लेने के लिए पढ़े जाते हैं। इस भजन को देवता के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए एक शक्तिशाली साधन माना जाता है और भारत में भक्तों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय है। भगवान खाटू श्याम भगवान कृष्ण का एक रूप है, जिनकी पूजा मुख्य रूप से भारत के उत्तरी क्षेत्रों में, विशेष रूप से राजस्थान राज्य में की जाती है। उन्हें बर्बरीक या खाटूश्यामजी के नाम से भी जाना जाता है, और किंवदंती है कि वह महाकाव्य महाभारत में पांडवों के पोते थे। पौराणिक कथा के अनुसार बर्बरीक का जन्म तीन बाणों के साथ हुआ था, जो उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुए थे और वे एक कुशल योद्धा थे। खाटू श्याम चालीसा भगवान खाटू श्याम के दिव्य गुणों का एक गीत है। भजन उनकी विभिन्न विशेषताओं पर प्रकाश डालता है और उन तरीकों का वर्णन करता है जिनसे वह अपने भक्तों को आशीर्वाद दे सकते हैं। यह भगवान खाटू श्याम को नमस्कार के साथ शुरू होता है और भक्तों पर उनका आशीर्वाद मांगता है। भजन में देवता के दिव्य रूप, उनके हथियारों और उनकी पोशाक का वर्णन किया गया है। चालीसा भी भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों की प्रशंसा करती है और भगवान खाटू श्याम उन रूपों को कैसे ग्रहण करते हैं। यह भगवान खाटू श्याम के विभिन्न चमत्कारों और कार्यों का वर्णन करता है, जिसमें उनकी बीमारियों को ठीक करने की क्षमता, बाधाओं को दूर करना और अपने भक्तों को धन और समृद्धि प्रदान करना शामिल है। भजन भगवान खाटू श्याम के प्रति समर्पण और समर्पण के महत्व पर भी जोर देता है। यह मोक्ष की प्राप्ति और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति सहित देवता की पूजा करने के विभिन्न लाभों पर प्रकाश डालता है। खाटू श्याम चालीसा आध्यात्मिक साधकों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है जो भगवान खाटू श्याम से जुड़ना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं। भक्त अत्यधिक भक्ति और विश्वास के साथ भजन का पाठ करते हैं, और यह माना जाता है कि देवता उन पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
अंत में, खाटू श्याम चालीसा एक भक्तिमय भजन है जो भगवान खाटू श्याम के दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है और उनकी पूजा करने के लाभों पर प्रकाश डालता है। यह आध्यात्मिक साधकों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है जो देवता से जुड़ना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। भक्त विश्वास और भक्ति के साथ भजन गाते हैं, और यह माना जाता है कि देवता उन्हें अपनी दिव्य कृपा प्रदान करते हैं।
Khatu Shyam Chalisa is a devotional hymn dedicated to Lord Khatu Shyam, a revered deity in the Hindu religion. The Chalisa comprises forty verses that are recited by devotees to seek the blessings of Lord Khatu Shyam. This hymn is considered a powerful tool to invoke the blessings of the deity and is widely popular among devotees in India. Lord Khatu Shyam is a form of Lord Krishna, who is worshiped mainly in the northern regions of India, particularly in the state of Rajasthan. He is also known as Barbarik or Khatushyamji, and the legend has it that he was the grandson of the Pandavas in the epic Mahabharata. According to the legend, Barbarik was born with three arrows, which he received from Lord Shiva, and he was a skilled warrior. Khatu Shyam Chalisa is an ode to the divine qualities of Lord Khatu Shyam. The hymn highlights his various attributes and describes the ways in which he can bless his devotees. It begins with a salutation to Lord Khatu Shyam and invokes his blessings on the devotees. The hymn goes on to describe the divine form of the deity, his weapons, and his attire. The Chalisa also praises the various forms of Lord Krishna and how Lord Khatu Shyam embodies those forms. It describes the various miracles and acts of Lord Khatu Shyam, including his ability to cure diseases, remove obstacles, and bestow wealth and prosperity on his devotees. The hymn also emphasizes the importance of devotion and surrender to Lord Khatu Shyam. It highlights the various benefits of worshiping the deity, including the attainment of salvation and liberation from the cycle of birth and death. Khatu Shyam Chalisa is a powerful tool for spiritual seekers who wish to connect with Lord Khatu Shyam and seek his blessings. Devotees recite the hymn with utmost devotion and faith, and it is believed that the deity showers his blessings on them. In conclusion, Khatu Shyam Chalisa is a devotional hymn that praises the divine qualities of Lord Khatu Shyam and highlights the benefits of worshiping him. It is a powerful tool for spiritual seekers who wish to connect with the deity and seek his blessings. Devotees recite the hymn with faith and devotion, and it is believed that the deity blesses them with his divine grace.
| दोहा ||
श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद।
श्याम चालीसा बणत है, रच चौपाई छंद।
|| चौपाई ||
श्याम-श्याम भजि बारंबारा। सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई। दिन दयालु न दाता होई।।
भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया। कही भीम का पौत्र कहलाया।
यह सब कथा कही कल्पांतर। तनिक न मानो इसमें अंतर।।
बर्बरीक विष्णु अवतारा। भक्तन हेतु मनुज तन धारा।
बासुदेव देवकी प्यारे। जसुमति मैया नंद दुलारे।।
मधुसूदन गोपाल मुरारी। वृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोबिंदा। दिनपाल श्री बाल मुकुंदा।।
दामोदर रण छोड़ बिहारी। नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
राधाबल्लभ रुक्मणि कंता। गोपी बल्लभ कंस हनंता।।
मनमोहन चित चोर कहाए। माखन चोरि-चारि कर खाए।
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा। कृष्ण पतित पावन अभिरामा।।
मायापति लक्ष्मीपति ईशा। पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति जय भुवन पसारा। दीनबंधु भक्तन रखवारा।।
प्रभु का भेद न कोई पाया। शेष महेश थके मुनिराया।
नारद शारद ऋषि योगिंदरर। श्याम-श्याम सब रटत निरंतर।।
कवि कोदी करी कनन गिनंता। नाम अपार अथाह अनंता।
हर सृष्टी हर सुग में भाई। ये अवतार भक्त सुखदाई।।
ह्रदय माहि करि देखु विचारा। श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कौर पढ़ावत गणिका तारी। भीलनी की भक्ति बलिहारी।।
सती अहिल्या गौतम नारी। भई श्रापवश शिला दुलारी।
श्याम चरण रज चित लाई। पहुंची पति लोक में जाही।।
अजामिल अरु सदन कसाई। नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम अधारा। सुख लहहि दुःख दूर हो सारा।।
श्याम सलोवन है अति सुंदर। मोर मुकुट सिर तन पीतांबर।
गले बैजंती माल सुहाई। छवि अनूप भक्तन मान भाई।।
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती। श्याम दुपहरि कर परभाती।
श्याम सारथी जिस रथ के। रोड़े दूर होए उस पथ के।।
श्याम भक्त न कही पर हारा। भीर परि तब श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम रस पी ले। जी ले श्याम नाम के ही ले।।
संसारी सुख भोग मिलेगा। अंत श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु हैं तन के काले। मन के गोरे भोले-भाले।।
श्याम संत भक्तन हितकारी। रोग-दोष अध नाशे भारी।
प्रेम सहित जब नाम पुकारा। भक्त लगत श्याम को प्यारा।।
खाटू में हैं मथुरावासी। पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी।
सुधा तान भरि मुरली बजाई। चहु दिशि जहां सुनी पाई।।
वृद्ध-बाल जेते नारि नर। मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर।
हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई। खाटू में जहां श्याम कन्हाई।।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा। भव भय से पाया छुटकारा।
दोहा
श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।
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